
तथ्य ये है कि "आयशा उर्फ़ आशिया नाम की महिला ने अपने हुश्न के जाल में फसाकर "राशनकार्ड" बनवा बनवा कर इन लोगो से ये काम कराया और हनीट्रैप में फसाने वाली "जेहदान आयशा" भी इन 11 लोगों के साथ गिरफ्तार की गई है मगर मिडिया को "आयशा" दिखती कहाँ है???"जेहादन आयशा उर्फ़ आशिया" ने बड़ी ही शातिराना तरीके से कई लड़कों की तरह "ध्रुव सक्सेना" नाम के लड़के को अपने प्रेमजाल में फास रखा था और उससे वो हवाला कारोबार कराती थी. बाद में ध्रुव ने भाजपा ज्वाइन कर ली और बाद में जब ATS ने ध्रुव और आयश समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया तो पता चला की ये हवाला कारोबार ISI के इशारे पर हो रहा था और देवबंदी छाप आतंक के पैरोकारों ने इसे भाजपा बजरंगदल और पता नहीं किस किस से जोड़ दिया..
ध्रुव सक्सेना को अपने प्रेमजाल में फासने के साथ साथ "जेहादन आयशा उर्फ़ आशिया " ध्रुव के साथ भोपाल के न्यू मिनाल रेजीडेंसी में एक ही फ्लैट में रहती थी और ध्रुव ने आयशा उर्फ़ आशिया से निकाह करने के लिए धर्म परिवर्तन की योजना बनाई थी तब तक हवाला रैकेट पकड़ा गया और पता चला की हवाला का रैकेट "जेहादन आयशा उर्फ़ आशिया " के माध्यम से ISI चला रही है। मतलब इसमें मालिक आयशा उर्फ़ आशिया थी और बाकी उसके कर्मचारी जिसमें कुछ को वो पैसे तो कुछ को अपना जिस्म फ़ीस के रूप में देती थी।
मगर मेरा मुद्दा वो 11 है जो "आयशा" की जमात से नहीं है.. कोई भी मुसलमान नहीं है,कोई भी मुसलमान नहीं है यह बात बार-बार दोहरा कर दिग्विजय सिंह और उनके जैसे शेखुलर नेताजी लोग स्वयं यह साबित और स्वीकार कर रहे हैं कि ज्यादातर मामलों में ISI के एजेंट मुस्लिम समुदाय से ही होते हैं। अगर आज तक आई एस आई के पकड़े गए एजेंटों की गिरफ्तारियों को देखा जाए तो लगभग 99% गिरफ्तारियां एक समुदाय विशेष के लोगों की हुई है।और ईमाम बुखारी जी ने एक बार यहाँ तक कहा था कि "हाँ मैं ISI का एजेंट हूँ किसी की हिम्मत हो तो गिरफ्तार करके दिखाये"।।
खैर अब इससे जो बड़ी बात है, कि इन पकड़े गए 11 लोगों में से एक भारतीय जनता पार्टी के मीडिया सेल से जुड़ा रहा है। अगर आई एस आई का एजेंट TMC, SP, BSP, INC या किसी देवबंदी छाप पार्टी से पकड़ा जाता है तुझे कोई आश्चर्य की बात नहीं होती क्योंकि पहले भी ऐसा होता रहा है....मगर यदि आईएसआई के एजेंटों ने भारतीय जनता पार्टी के मीडिया सेल पर घुसपैठ कर ली है तो सचमुच एक गंभीर मामला है और भारतीय जनता पार्टी को इस बात पर विचार करना होगा कि, किस आधार पर अपने विभिन्न कार्यालयों में लोगों का प्रवेश कराया जा रहा है। अन्यथा विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जायेगा..
अक्सर जब कोई "मुस्लिम समुदाय" का ISI एजेंट पकड़ा जाता है तो एजेंट के अलावा सम्बंधित धर्मगुरु और नेता जी लोग उसको निर्दोष होने का सर्टिफिकेट दे देते हैं और कई केस में वो "जेहादी प्रोफ़ेसर जिलानी" की तरह बरी हो जाते हैं(बाइज्जत बरी नही होते कम सबूतों के कारण और वोटबैंक के दबाव के कारण होते हैं)।ठीक इसी प्रकार उत्तरप्रदेश की सरकार ने संकटमोचन मंदिर में बम फोड़कर दर्जनों को चीथड़े कर देने वालों से "समुदाय विशेष" का होने के कारण मुकद्दमा वापस ले लिया था तब कोर्ट ने कहा था "आज आतंकियों पर से मुकद्दमा वापस ले रहे हो कल भारत रत्न दे देना"।।
अक्सर जब कोई "मुस्लिम समुदाय" का ISI एजेंट पकड़ा जाता है तो एजेंट के अलावा सम्बंधित धर्मगुरु और नेता जी लोग उसको निर्दोष होने का सर्टिफिकेट दे देते हैं और कई केस में वो "जेहादी प्रोफ़ेसर जिलानी" की तरह बरी हो जाते हैं(बाइज्जत बरी नही होते कम सबूतों के कारण और वोटबैंक के दबाव के कारण होते हैं)।ठीक इसी प्रकार उत्तरप्रदेश की सरकार ने संकटमोचन मंदिर में बम फोड़कर दर्जनों को चीथड़े कर देने वालों से "समुदाय विशेष" का होने के कारण मुकद्दमा वापस ले लिया था तब कोर्ट ने कहा था "आज आतंकियों पर से मुकद्दमा वापस ले रहे हो कल भारत रत्न दे देना"।।
मगर मेरा मानना है ऐसा तुष्टिकरण इन 11 के केस में नहीं होगा और होना भी नहीं चाहिए ...सरकार को एक और बाद ध्यान रखना होगा की इन 11 लोगो का पूरा जीवन जेल में ही बीते और तबाह हो जाये ताकि दोबारा कोई हिन्दू ISI की अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष सहायता करने की जुर्रत न करे..मुझे पूरा भरोसा है कि अभी तक "देवबंद के फतवे" की तरह किसी हिन्दू "मठ, अखाड़े या मंदिर" ने ये नहीं कहा कि ये बेचारे निर्दोष भटके हुए हिन्दू नौजवान है, न ही कोई भाजपा का कोई नेता इनकेे पक्ष में आया है क्योंकि भारत में बम फोड़कर फांसी पा कर भी निर्दोष और शहीद होने की इम्युनिटी और तमगा केवल "याकूब" "अफजल" और "जिलानी" को मिल सकता है किसी "ध्रुव सक्सेना" को नहीं...
सबका यही मत है कि ये 11 गद्दार है और गद्दारों के लिए कोई संवेदना नहीं, कोई फतवा नहीं..बाकी "आयशा" तो निर्दोष हो ही जायगी क्योंकि वो "वोट बैंक की फसल आयशा" जो ठहरी ...कानूनन जो अधिकतम सजा है इनके अपराध के लिए वो इन्हें दी जाये.हिन्दू समाज से इनके समर्थन में कोई आवाज नही है और न ही आएगी और यही बात हमें औरों से अलग बनाती है...
भारत माता की जय...
आशुतोष की कलम से