मित्रों जूही-इरफ़ान प्रेमकथा : ना जन्म का हो बंधन-१ में आप सभी ने पढ़ा की किस तरह कुरान की पवित्र शिक्षा लेने आया हुआ एक युवक अपने प्रेमजाल में एक युवती जूही को फंसा कर उसका शारीरिक और मानसिक शोषण करता है....प्रस्तुत है आगे की कथा..
अचानक जूही की नींद खुली तो ८ बज चके थे उसके बगल में असलम सोया हुआ था..स्तब्ध जूही ने अपने फर्श पर बिखरे कपड़ों में अपना तार तार होते चरित्र और व्यक्तित्व की परिकल्पना कर ली और बिस्तर पर फैला खून आंसुओं की शक्ल में अब आने वाले जीवन की एक भयावह कहानी लिखने वाला था....
अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को समेटते हुए जूही बेसुध कर्तव्यविमूढ सी एकटक छत की और देखे जा रही थी...आहट से असलम भी उठ गया..
जूही मुझे माफ़ कर दो अल्लाह की कसम मैंने ऐसा जानबूझ कर नहीं किया,पता नहीं कैसे मैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाया और ये सब हो गया..." इरफ़ान ने जूही के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा"
मुझे मत छुओ तुम्हारी हवस पूरी हो चुकी है,इसको भावनाओं का नाम दे कर मुझे झांसे में मत रखो...तुमने मुझे कही मुह दिखाने लायक नहीं छोड़ा, इस जिन्दगी से अच्छा मैं अभी अपनी जान दे दूंगी ...मुझे जीना नहीं है....."ये कहते हुए जूही फफक फफक कर रो पड़ी"..
इससे पहले असलम अपनी अगली चाल चलता जूही अपने घर की और जा चुकी थी..जैसे जैसे जूही घर की और पहुच रही थी उसकी अंतरात्मा और मस्तिष्क में द्वन्द चाल रहा था की घर तक जाऊ या यही कहीं अपनी जान दे दूँ ...फिर उसका खुद से सवाल ..मेरे मरने के बाद माँ का क्या??कितनी बदनामी होगी??छोटी बहन बीमार है उसकी शादी नहीं होगी इतनी बदनामी के बाद.इसी उधेड़बुन में कब घर आ गया उसे पता नहीं चला..
कहाँ इतनी देर लगा दी बेटी घर में सब परेशान हैं.." हरप्रीत आंटी की आवाज से जूही थोडा संयत हुई".
कही नहीं मम्मी पार्लर में मेरी सहेली मिल गयी थी निशा उसके साथ बाज़ार चली गयी थी....." जूही ने अपनी माँ से बिना नजरे मिलाये उत्तर देते हुए अपने कमरे का रुख किया"रात में नींद जूही की आँखों से कोसो दूर थी..बार बार उसे अपने मुर्खता पर पछतावा हो रहा था की वो असलम के घर क्यों गयी?? जैसे तैसे जूही ने खुद को समझा लिया की वो इस बात को जीवन का एक बुरा अध्याय मान कर भूल जाएगी.. धीरे धीरे लगभग १ माह बीतने को आये..धीरे धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा था मगर असलम बिच बिच में एस एम एस द्वारा जूही से मिन्नतें और माफ़ी मांगता रहता था अपने कुकृत्य के लिए...
आज सुबह अचानक भोर में जूही की तबियत ख़राब हो गयी..उल्टियाँ आता देख हरप्रीत आंटी उसे रेगुलर चेक अप के लिए पास के आर्मी अस्पताल में ले गयी....शाम को रिपोर्ट देखते ही घर में कोहराम मच गया ...जूही पेट से है...
बता बेटी अब में इस समाज में खुद तुम्हे या तेरी छोटी बहन को कहाँ ले कर जाऊ..कौन रिश्ता करेगा तुझसे तेरी बहन से ..आखिर हमारी परवरिश में क्या कमी रह गयी थी जो तुने ऐसा किया...आदि आदि उलाहने देते हुए हरप्रीत आंटी दिवार पर सर पटक कर रोये जा रही थीं ...
आखिर कर जूही के सब्र का बांध भी टूट गया ..बिलखते हुए उस दिन की ब्यथा कथा और इरफ़ान के किये गए कुकर्मों को उसने हरप्रीत आंटी से बताया...
खैर अब बारी थी इस विपत्ति से बाहर आने की तो हरप्रीत आंटी ने सादिक मियां के घर जा के चर्चा करने का प्रयास किया...सादिक मियां एक समाधान और साथ में शर्त रख दी की..असलम और जूही का निकाह करा देते हैं मगर उससे पहले आप सभी को इश्लाम धर्म स्वीकार करना होगा...अब हरप्रीत आंटी असमंजस में ,,
हाथ जोड़ते हुए उन्होंने असलम से कहा बेटा अब हमारी इज्ज़त तुम्हारे निर्णय पर है..इश्लाम स्वीकार कर के मैं अपनी छोटी बेटी का भविष्य अंधकार में नहीं डाल सकती..तुम्ही कुछ बोलो..
असलम ने नजरे जमीन में गडाए हुए कहा .." में सादिक भाई जैसा कह रहे हैं वैसा ही करूँगा बाकि आप खुद फैसला कर लें की आप को क्या करना है..."
हरप्रीत आंटी अश्रुपूरित नैनो के साथ सादिक मियां के घर से वापस आ गयी...घर आ कर उन्होंने जूही के गर्भपात का एक कठिन फैसला लिया..इसके लिए उन्होंने जूही को पास के शहर में रहने वाली अपनी एक विश्वस्त सहेली के यहाँ भेज दिया...
हॉस्पिटल पहुच कर जूही जब बेड पर लेटी तो उसे उसे सामने दीवार पर लगा एक पोस्टर दिखा जिसमें लिखा था "माँ मेरा कसूर क्या है जो तुम मुझे मार रही हो".......
शायद इन पंक्तियों ने जूही की मातृत्व को जागृत कर दिया और उसने भ्रूण हत्या न करने का निर्णय किया और वो चुपचाप हॉस्पिटल से बाहर आ गयी.....
बाहर आ के उसने असलम को फ़ोन किया " असलम ,मुझे मेरे अपने जीवन से कोई लगाव नहीं मगर मैं अपने गर्भ में पल रहे इस बच्चे को नहीं मर सकती..तुम्ही कोई रास्ता बताओ"
असलम ने फिर सादिक भाई का पुरे परिवार का इश्लाम स्वीकार करने का टेप जूही को सुना दिया...फिर थोड़ी न नुकुर के बाद असलम ने एक सुझाव दिया..
" जूही चलो हम भाग के निकाह कर लेते हैं ,मेरा एक खास दोस्त है लाहौर में वो सब व्यवस्था कर देगा नेपाल के रस्ते हम पाकिस्तान जा के अपनी एक अलग दुनिया बसा लेंगे...और तुम्हारी माँ और बहन को भी धर्म परिवर्तन नहीं करना पड़ेगा..सादिक भाई भी बिच में नहीं आयेंगे तब….
जैसे व्यक्ति एक बार दलदल में फस जाये तो जितना ही हाथ पैर मारता है उतना ही दलदल में फसता चला जाता है कही जूही उसी राह पर तो नहीं थी??..हलाकि एक ऐसे व्यक्ति के विश्वास पर, अपना आने वाला जीवन समर्पित कर देना, जिसने धोखे से अपनी वासना तृप्ति के भावनाओं का सहारा लिया हो ,बहुत मुश्किल था मगर जूही के पास इस मुसीबत से बचने और परिवार को बचाने का सिर्फ यही एकमात्र रास्ता नजर आया.और उसने असलम को इस बात के लिए दुखी मन से हाँ कर दिया..
अगले दिन जूही और असलम का एक-एक पत्र मिला अपने अपने घरों में और जूही असलम निकल पड़े नेपाल के लिए .नेपाल पहुच कर जूही असलम ने निकाह रचाया और अब जूही बन चुकी थी जमीला बेगम.
लगभग १० दिनों बाद असलम और जमीला (जूही) के नाम का पासपोर्ट आ चूका था और लाहौर के पास एक छोटे से कस्बे में चले गए....वहां पर पहले से ही सारी व्यवस्था देख कर जमीला (जूही) ने असलम से पूछा की
क्या ये सब तुम्हारे दोस्त का है ??
असलम ने बताया की उसे यहीं एक सिक्यूरिटी कम्पनी में नौकरी मिल गयी है और ये मकान भी कंपनी में दिया है...हलाकि वो इस प्रश्न को टाल गया की पाकिस्तान आते आते ही उसे नौकरी और मकान कैसे मिल गया"
समय बीतता गया जमीला (जूही) को जुड़वाँ बच्चे पैदा हुए दोनों बेटे नाम अनिश और अब्दुल ...समय बीतते बीतते असलम के जमीला (जूही) के प्रति व्यवहार में परिवर्तन आने लगा...हद एक दिन तब हो गयी जब स्थानीय बम विस्फोट में असलम का नाम आया और पुलिस उसे पूछते हुए आई..जब जमीला (जूही) ने असलम से ज्यादा जानने की कोशिश की तो असलम ने हर बार की तरह जमीला (जूही) की पिटाई कर दी..किनारे पड़े बच्चे जमीला (जूही) के साथ रोये जा रहे थे और असलम पाकिस्तान से बाहर जाने का प्रबंध करने लगा..अब तक ये बात साफ हो चुकी थी की असलम एक कट्टर स्थानीय इस्लामिक ग्रुप के लिए कम करता था जिसका काम आतंक की फसल तैयार करना था..
जैसे तैसे असलम जमीला (जूही) को लेकर नेपाल के रस्ते पुनः भारत आया और ४ साल बाद पुनः सादिक मियां के के घर के सामने ...सादिक मियां जो अब तक असलम की कारस्तानियों के बारे में जान चुके थे उन्होंने पहले ही असलम को अपने घर में शरण देने से मना कर दिया..थक हार कर असलम मिया को हरप्रीत आंटी की याद आई और असलम मिया जमीला (जूही),और अपने दो बच्चों के ले कर हरप्रीत आंटी के घर पर..
कांपते हाथो से जमीला (जूही) ने घंटी बजायी....दरवाजा खुलते ही अपनी माँ और छोटी बहन जसलीन को ४ साल बाद देख जमीला (जूही) उनसे लिपट कर फूट फूट कर रो पड़ी.. हरप्रीत आंटी आखिर थी तो उसकी माँ ..पूरी राम कहानी सुनने के बाद उन्होंने अपनी बेटी दामाद को अपने घर में रहने की इजाजत दे दी कम से कम बेटी आँख के सामने तो रहेगी....असलम को भी जसलीन आंटी ने समझाया की तुम्हारा भारत में कोई आपराधिक रिकार्ड तो है नहीं तो यही कहीं कोई काम शुरू कर लो.. असलम मियां ने भी एक दुकान खोल ली पास में ही और समयचक्र चलता रहा...अब हरप्रीत आंटी के घर से पूजा की घंटियों की जगह अजान एवं नमाज के सुर आने लगे..नियति का लिखा मान कर हरप्रीत आंटी ने इसे स्वीकार कर लिया था....
जैसा की पहले हमने पढ़ा था जसलीन को एक बीमारी थी जिसे डाक्टर "मार्टिन बेल सिंड्रोम" कहते है..मतलब शारीरिक आयु से मानसिक आयु का कम होना..अब जसलीन १९ की हो चुकी थी मगर उसका व्यवहार १३ साल की बच्ची जैसा था ...असलम मिया कभी कभी जसलीन हो हास्पिटल ले कर जाते उसके इलाज के लिए .साथ साथ घर में रहने कारण धीरे धीरे असलम ,जमीला (जूही) एवं उसके दो बच्चों के साथ जसलीन घुल मिल गयी थी..मगर कुछ दिनों से जमीला (जूही) को असलम के व्यवहार में परिवर्तन लगने लगा वो अब जमीला (जूही) को ज्यादा समय देने लगा था, कुछ तोहफे भी ला कर देता था साथ ही साथ जसलीन को उसके मनपसंद खिलौने क्यूकी जसलीन की उम्र भले ही १९ साल थी मानसिक रूप से उसकी उम्र खिलौने लायक ही थी..
एक दिन असलम दुकान से जल्दी आ गया हरप्रीत आंटी और जमीला (जूही) बाज़ार के लिए जा रही थी जाते जाते दोनों बच्चों और जसलीन का ख्याल रखने के लिए असलम मियां को बोल गयी...शायद फिर अनहोनी दस्तक दे रही थी जमीला (जूही) के जीवन में ...जसलीन को घर में अकेली देख असलम के अन्दर का छुपा हुआ वासना का शैतान फिर जग गया और जसलीन की बीमारी ने असलम का काम और आसान कर दिया और असलम की हवस का शिकार एक मानसिक रूप से कमजोर बच्ची जसलीन बन गयी....असलम ने साक्ष्य मिटने की भरपूर कोशिश भी की मगर चुकी जसलीन मानसिक रूप से बच्ची ही थी उसने घर आते ही सारी बात अपनी बहन जमीला (जूही) से बता दिया.. जमीला (जूही) स्तब्ध हो कर जसलीन के अस्तित्व को चीथड़े चीथड़े होने की कहानी उसके ही बालमन से सुने जा रही थी मगर उसने संयत होते हुए इसका जिक्र किसी से न करने की हिदायत देते हुए अपने कमरे में बच्चों के साथ चली गयी....रात को खाना खाते समय असलम के हाव भाव देख कर किसी को भी ऐसा नहीं लग रहा था असलम मियां ने इतने निकृष्ट कोटि का कृत्य किया होगा. रात को सोते समय अचानक ही असलम ,जमीला (जूही) को बहुविवाह की खूबियाँ बताते बताते सो गया...मगर जमीला (जूही) ने ये जाहिर नहीं होने दिया की उसे असलम के इस कुकृत्य की खबर है...
रात को अचानक जमीला (जूही) के कमरे से बच्चों के रोने एवं चीखने की जोर जोर से आवाजें आने लगी...हरप्रीत आंटी भागी भागी कमरे की और दौड़ी......बड़ा ही वीभत्स दृश्य ...
असलम के पुरे शारीर पर पेट्रोल डाल कर जमीला (जूही) ने उसे जिन्दा जला दिया था, वो एक तरफ तड़फ रहा था..जमीला (जूही) ने अपनी नस काट कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी, दोनों बच्चे जमीला के पास उसके खून में सने हुए चिल्ला रहे थे.. हरप्रीत आंटी बेहोश पड़ी थी और जसलीन का बालमन अब भी इस घटना को समझने की कोशिश कर रहा था .....
लव जेहाद का बम फट चुका था.. लव जेहादी की शहादत ब्यर्थ नहीं गयी एक पूरा परिवार लव जेहाद का शिकार हो चुका था ....